
यूरोप में कार सेफ्टी रेटिंग यानी Euro NCAP (European New Car Assessment Programme) को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। यहां लगभग 90% ग्राहक नई कार खरीदने से पहले इसकी सेफ्टी रेटिंग जरूर देखते हैं। यही वजह है कि हर कार कंपनी अपनी गाड़ी को 5-स्टार रेटिंग दिलाने की पूरी कोशिश करती है। लेकिन अब 2026 से Euro NCAP अपने सेफ्टी नियमों में बड़ा बदलाव करने जा रहा है, जिससे बिना फिजिकल बटन वाली कारों को नुकसान हो सकता है।
फिजिकल बटन होंगे जरूरी
Euro NCAP के नए 2026 सेफ्टी प्रोटोकॉल में साफ कहा गया है कि अब गाड़ियों में कुछ बेसिक कंट्रोल्स के लिए फिजिकल बटन, डायल या स्टॉक जरूरी होंगे। इनमें हॉर्न, इंडिकेटर, हैजर्ड लाइट, वाइपर और SOS बटन जैसे जरूरी कंट्रोल शामिल हैं।
इसका मकसद ड्राइवर को सड़क पर ध्यान केंद्रित रखने में मदद करना है। रिपोर्ट के अनुसार, अगर ड्राइवर सिर्फ दो सेकंड के लिए भी सड़क से नजर हटाता है, तो एक्सीडेंट का खतरा बढ़ जाता है। वहीं टचस्क्रीन के जरिए कमांड देने में 5 से 40 सेकंड तक लग सकते हैं, जिससे ध्यान भटकता है और हादसे का खतरा बढ़ता है।
क्यों बढ़ी कार कंपनियों की परेशानी
आजकल ज्यादातर कार ब्रांड्स अपनी कारों को मिनिमल डिज़ाइन और क्लटर-फ्री इंटरियर के साथ पेश कर रहे हैं। यानी फिजिकल बटन कम और ज़्यादातर फंक्शन टचस्क्रीन पर शिफ्ट कर दिए गए हैं। लेकिन अब Euro NCAP के नए नियमों के कारण कंपनियों को अपने डैशबोर्ड और सॉफ्टवेयर सिस्टम में बदलाव करने होंगे।
इस बदलाव से कारों की कॉस्ट और डेवलपमेंट टाइम दोनों बढ़ जाएंगे। साथ ही, नए डिजाइन के लिए सप्लाई चेन में भी एडजस्टमेंट करनी पड़ेगी।
नए सेफ्टी पॉइंट सिस्टम में बदलाव
Euro NCAP अब सिर्फ फिजिकल कंट्रोल्स पर ही नहीं, बल्कि ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी ज्यादा फोकस कर रहा है। अब ड्राइवर की नींद, आंखों और सिर की हरकत, यहां तक कि ड्रग या अल्कोहल के असर को भी मॉनिटर किया जाएगा। इस कैटेगरी में अब 25 पॉइंट तक दिए जाएंगे, जबकि पहले सिर्फ 2 पॉइंट मिलते थे।
इसके अलावा, रियर सीट बेल्ट अलर्ट, बच्चों की सुरक्षा के लिए नए सेंसर, और एयरबैग की इंटेलिजेंट इन्फ्लेशन सिस्टम जैसी तकनीकें भी अब जरूरी मानी जाएंगी।
नतीजा
यानी साफ है कि 2026 से Euro NCAP में 5-स्टार रेटिंग हासिल करना पहले से कहीं मुश्किल होगा। बिना फिजिकल बटन वाली कारें सेफ्टी पॉइंट्स खो देंगी और कंपनियों को अपनी कारों के डिजाइन और हार्डवेयर में बड़े बदलाव करने पड़ेंगे।